भाव विभोर हुआ मन मेरा- डॉ उमेश कुमार राठी

भाग गया चुपचाप अँधेरा
लायी रश्मि प्रभात
भाव विभोर हुआ मन मेरा
जाग गये जज़्बात

रोज सवेरे दस्तक़ देते
प्रेम भरे संदेश
कुछ तो दिल में प्यार बढ़ाते
कुछ देते आदेश
नित बदले परिवेश चितेरा
बदले जब हालात
भाव विभोर हुआ मन मेरा
जाग गये जज़्बात

भँवरों का गुंजान लुभाता
तितली की मुस्कान
फूल सदा मकरंद लुटाता
लगता मधुर विहान
पात सुमन पर करे बसेरा
शबनम की बरसात
भाव विभोर हुआ मन मेरा
जाग गये जज़्बात

पारिजात हर रात खिले तो
आता द्वार बसंत
मीत अगर सौगात मिले तो
होता प्यार अनंत
कितना मोहक चित्र उकेरा
नेह भरा लम्हात
भाव विभोर हुआ मन मेरा
जाग गये जज़्बात

-डॉ उमेश कुमार राठी