महक जाए आँगन प्रीत से-मनोज कुमार

प्यार को कौन सा मुक़ाम दूँ,
तुम मेरी हो और क्या नाम दूँ,
सर्वस्व दिया है साँसों के साथ
और प्यार का गुलाब क्या दूँ,

महसूस हो तुमको सदा,
वफ़ा ऐसी तुमसे अन्जाम दूँ,
धड़कनों के लय में बसाया तुमको
और बिखरता गुलाब क्या दूँ,

हँसी तुम्हारी लाल पंखुड़ियां,
ताउम्र सम्हालने को अंजाम दूँ,
टूट कर बिखर जाएगा गुलाब डाली का
ऐसे और प्यार का गुलाब क्या दूँ,

लबों पर तुम्हारा नाम हो,
मैं घुलता तुम में मनोज रहूँ,
महक जाए आँगन प्रीत से
ऐसे प्यार का गुलाब तुमको दूँ

-मनोज कुमार