माँ लौटा दो- अनिल कुमार मिश्र

रिश्तों की राहें सब टेढ़ी
अपने सब हैं छलनेवाले
इसको तोड़ा,उसको तोड़ा,सबको फोड़ा
सब रिश्तों को सब रिश्तों से तोड़ा, फोड़ा
अब रहने भी दो
छोटे भाई, बहन का चेहरा याद दिला दो
और हाँ
मुझको मेरे बचपन वाली माँ लौटा दो
वो मेरी माँ, वो अपनी माँ
माँ की वो प्यारी थपकी
वो प्यारी सी नींद मुझे तुम आज दिला दो
मुझको मेरे बचपन वाली माँ लौटा दो

-अनिल कुमार मिश्र
हज़ारीबाग़, झारखंड