मेरे सपनों का तुम- जयलाल कलेत

बेटा हर रिश्तों का ख्याल रखना,
दिये हुए संस्कारों का ध्यान रखना,

जीवन के पथ में बाधाएं आती है,
हर बाधाएं कुछ न कुछ सिखाती है,
विचलित न होना धैर्यवान बनना,
मेरे सपनों का तुम सम्मान रखना।

तुम बच्चे से युवा बनने चले हो,
मेरी उम्र अब यूं ढलने चला है,
बड़ों के सम्मान का ख्याल रखना,
दी हुई उन संस्कारों का ध्यान रखना।

छोटों के स्नेह का भी ख्याल रखना,
विनम्रता का हर दम ध्यान रखना,
उम्मीदें जब करें कोई तुमसे,
उनके हर उम्मीदों का ख्याल रखना।

गर भटक गया हो कोई राही राह पर,
उसके भी मंजिल का ख्याल रखना,
कोई भूखा तड़प रहा हो किसी मोड़ पर,
उनके भी रोटी का कुछ ध्यान रखना।

शूल बनकर फूलों का ध्यान रखना,
अपने भाई बहनों का ख्याल रखना,
एक सूत्र में पिरोकर अपनों को,
अपने वसूलों का भी मान रखना।

-जयलाल कलेत
रायगढ़ छत्तीसगढ़,