मेरे साथ- रूची शाही

मेरे साथ कहाँ, अब तू दूर तलक जाएगा
दो कदम चलके तेरा हौसला थक जाएगा

जिसे काजल की तरह बसाया आँखों में
थी खबर कब, वो आँखों से छलक जाएगा

छू न पायेगा रूह-ए-गुल की खुशबू कभी
तू तो भँवरा है फूलों पे ही अटक जाएगा

बड़ी-बड़ी बातें करता है, तो कर ले, मगर
मैं नाखून काटूँ तो तेरा वजूद ढ़क जाएगा

मुझ जैसे बेशक तुझको सौ मिल जायेंगे
पर सब में मुझको ढूँढ़ के तू थक जाएगा

-रूची शाही