मैं चिंतित हूं- जयलाल कलेत

मैं चिंतित हूं, मैं भयभीत हूं,
मैं मिलने को उनसे आतूर हूं,
ये कैसा लक्ष्मण रेखा हैं,
अपनों से मिलने से वंचित हूं

जन जीवन में दहशत देख,
विरान शहर और गांव देख,
हर मुंह पर बांधे नकाब देख,
मैं भयभीत हूं मैं चिंतित हूं

ये कैसी कहर विरान गली,
कलियां न बागों में फूल खिली,
सुनसान राहों को देखकर,
मैं भयभीत हूं मैं चिंतित हूं

न अपराध कोई,न अपराधी हूं,
न विवाह कोई, न शादी है,
खौंफ से चेहरा उतरा देख,
मैं भयभीत हूं, मैं चिंतित हूं

-जयलाल कलेत
रायगढ़, छत्तीसगढ़,