रात पायल- सुरेंद्र सैनी

रात की पायल छन-छन
स्वरों की घंटी टन-टन
यहाँ नहीं तुम सायों में,
तन्हा तुम बिन तड़पन-तड़पन

रूठ गए जो किसी बात पर,
दो नयनों की अनबन-अनबन
कैसे मनायें, चले शीत हवाएं,
मौसम बना ये उलझन-उलझन

नाराज़गी क्यों फूलों की,
कलियों का है बचपन-बचपन
दौड़ता वक़्त बीत रहा,
हर पल-पल क्षण-क्षण

तेरी गैरमौजूदगी का दम-दम
मेरा दिल हुआ अनमन-अनमन
तुम आ जाओ तो साँस मिले,
वर्ना रुके ह्रदय-स्पंदन धड़कन

रात की पायल छन-छन
स्वरों की घंटी टन-टन
इंतजार बुरा है ‘उड़ता’
कहीं बीत न जाए जीवन-जीवन

-सुरेंद्र सैनी बवानीवाल ‘उड़ता’
झज्जर, हरियाणा
संपर्क- 9466865227
प्रकाशन-
विभिन्न पत्रिकाओं व अखबारों में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित हो रही है, जैसे टॉक टाइम, काव्य रंगोली, पुष्पगंधा, जन भाषा, साहित्य-सुधा, जनमंच हिंदी, यूथ डेली न्यूज़, हरियाणा आवाज़ अख़बार,गोल्डन भारत, तीजीका, स्टोरी मिरर आदि।