संवलाई हुई शाम सुहानी- नवरंग भारती

【1】
रात की बाहों में ज्यों रात की रानी महके
दे दे अपनी कोई ऐसी जो निशानी महके

मेरे एहसास ने महसूस किया है तो यही
तेरे एहसास से नग्मों की जवानी महके

ऐसी लगती हैं सनम तेरी घनेरी ज़ुल्फें
जैसे संवलाई हुई शाम सुहानी महके

जो भी दुनिया में सुने, जिसकी जुबां तक आये
उसकी सांसों से सनम अपनी कहानी महके

【2】
जीवन के सूने उपवन में, किसने छेड़ा प्रेम तराना
जाग उठी है सोई आशा, लगता है संसार सुहाना

बोझल मन ने ली अंगड़ाई, बजने लगी जैसे शहनाई
पाया है कैसा सपनों ने क़िस्मत से सुन्दर नज़राना

सुन्दर रृतू आंखों को भाये, मादक मौसम मन भरमाये
दूर कहीं बाजे बाँसुरिया, सरगम छेड़े प्रेम तराना

-नवरंग भारती