सारी उम्र तेरे लिए- मनोज कुमार

मैं गुजरा न जिस मोड़ पर
उसके छोर पर तुम इंतेजार करते रहे

राह भटका मैं सारी उम्र तेरे लिए
तुम इंतेज़ार किसका करते रहे

किस मुँह से मोहब्बत का नाम लोगे,
बेवजह हमे जो बेवफ़ा का नाम देते रहे

लौट गया होता मैं भी आशियानें में कहीं
क्यों झूठी हिचकियों से काम लेते रहे

क्या करोगें अब हाल जान कर हमारा
सारी उम्र दूर रह मेरे जो जान लेते रहे

अब कैसे होंगे तेरे मेरे रास्ते एक
नदी के किनारे जैसे इश्क़ तुम करते रहे

-मनोज कुमार