हाँ मैं नारी हूँ- डॉ सुनीता मिश्रा

कौन हूँ मैं? मेरी पहचान क्या है?
अनगिनत बार इन प्रश्नों ने मुझे चौंकाया
आज पहली बार उत्तर दे मैंने इसे छकाया
हाँ मैं नारी हूँ…आज की नारी…

इस सृष्टि की हूँ मैं सर्वश्रेष्ठ सर्जना
देवता भी करे है जिसकी अर्चना
हाँ मैं नारी हूँ…

बाहर से कोमल पर अंदर से गरल
दुष्टों के कंठ मे बसूं बनके हलाहल
धरा और गगन में बसती हूं प्रतिपल
हाँ मैं नारी हूँ…

मनु की श्रद्धा तो कृष्णा की राधा
मेरे बिना सृष्टि है अधूरा और आधा
मैं हूं तो परिवार है नहीं कोई बाधा
हाँ मैं नारी हूँ…

मौसम की बहारें और ऋतुओं की शान
मेरी हंसी किलकारी से गूंजता है जहान
दुर्गा, लक्ष्मी, शारदा है मेरी पहचान
हाँ मैं नारी हूँ

अपनी पहचान छिपाकर हंसती हूं हरदम
अपने अक्स को भूली तभी रौशन है तम
ऐ दिल, अब तो न पूछ कौन हो तुम
हाँ मैं नारी हूँ…

हर रिश्ते को उठाया है मैने गिरकर
विधाता भी गर्वित है मेरा सृजन कर
मुझसे ही तु है अब कर ले स्वीकार ।।
हाँ मैं नारी हूँ
आज की नारी
हाँ…हाँ…
नारी…

-डॉ सुनीता मिश्रा
बिलासपुर, छत्तीसगढ़

परिचय-
डॉ सुनीता मिश्रा
एमए, एमफिल, पीएचडी
हिंदी की प्राध्यापिका कवियत्री, लेखिका, समीक्षिका एवं समाज सेविका, ‘धरोहर’ संस्था के माध्यम से छत्तीसगढ़ की संस्कृति को सहेजने का प्रयास कर रही हूँ।
10 वर्षों का मीडिया का अनुभव, CCN News Channel में News anchoring, रेडियो रमन में स्टेशन मैनेजर, आरजे, अनेक मंचों पर मंच संचालन, आकाशवाणी और राज्य स्तरीय मंचो पर कवि सम्मेलन में भागीदारी, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं और वेब पोर्टल, गूगल और सोशल मीडिया मे निरंतर लेखन। एक किताब का प्रकाशन।
सम्मान-
2008 मे समाज गौरव सम्मान
2010 में बेस्ट एंकरिंग सम्मान
2017 में बिलासा साहित्य सम्मान
2018 मे साहित्य श्री सम्मान
2019 मे छत्तीसगढ़ माटी सम्मान
2020 मे साहित्य रत्न सम्मान