ख़त वो पुराने- रकमिश सुल्तानपुरी

मिलते हैं यार अभी
ख़लते हैं यार अभी

आँखों के आँसू भी
छलते हैं यार अभी

लफ़्ज़ तेरी यादों के
पलते हैं यार अभी

सुन तेरे इश्क़ में
जलते हैं यार अभी

ख़त वो पुराने सब
गलते हैं यार अभी

स्वप्नों में मंज़र सब
चलते हैं यार अभी

रकमिश दिन यादों में
ढलते हैं यार अभी

-रकमिश सुल्तानपुरी