अब जो तुम रूठते हो ना- रूची शाही

अब जो तुम रूठते हो ना
तो और अधिक पीड़ा होती है
हाँ बस निगाहें नहीं कहती कुछ
पर हृदय की वेदना चरम पर होती है

पहले तुम्हारी नाराजगी नहीं सह पाती थी
और अब तुमसे खुद की नाराजगी नहीं सह सकती
कितना अजीब है ना
किसी को इतना चाह लेना
कि उसके बिना साँसे भी कम लगने लगे
और वेंटिलेटर पे जाना पड़े

उफ्फ! मुहब्बत में कितना चाहा किसी को
इसका कोई हिसाब कहाँ होता है
जी भर के प्यार करना और जी भर की गुस्साना
बस यही सिलसिला तो चलता रहता है

सुनो! जब प्यार सहर्ष स्वीकार करते हो
तो मेरी नारजगी भी किया करो
ये भी मेरे ही मन के भाव हैं
मेरे हृदय से ही उपजे हैं
इतना सौतेला व्यवहार क्यों इनसे
क्यों जरा देर सहने में तिलमिला जाते हो

जिस तरह मुझे स्वीकारा है
इसे भी अपना मान लो
ये भी मेरे प्यार का एक रंग है
जो तुम्हें चाहेगा उसे हक है
तुमसे रूठ जाने का…

अब यह सत्य मिट नहीं सकता
मेरे स्वभाव का एक हिस्सा है मेरा गुस्साना
पर मुझे मनाने के बाद मेरा असीम प्यार
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा है

चुन सको तो चुन लो
इनसे खुशी या फिर उदासी के भाव
अब तुम्हारी मर्ज़ी है
बाकी मेरा हक तुमपे गुस्साना
और बहुत जाइज़ मेरी नाराजगी है

-रुची शाही