अपने जीवन को: रामजी त्रिपाठी

स्वयं को स्वयं पर कुछ काम दो।
सोच को अपनी तुम कुछ आराम दो।।

कर सकें तुम पर सब भरोसा ऐसा नाम दो।
विश्वसनीयता का एक सबको संसार दो।।

लक्ष्य को एक सुनिश्चित आधार दो।
अपने जीवन को अर्जुन सा अधिकार दो।।

करके ह्रदय से वृद्धों की सेवा-सत्कर्म।
इस जीवन में आत्मा को परमात्मा का द्वार दो।।

रामजी त्रिपाठी