आत्मा से संग्राम करें: अर्चना श्रीवास्तव

कोई अपना घट जाए तो
रोना दुनियादारी है
औरों के जीवन को खाना,
यह कैसी होशियारी है

प्राण-प्राण जब एक सभी के,
जीवन का भी मोह सभी में
अपने जीवन का संरक्षण,
यह कैसा अवरोह सभी में?

स्वाद! स्वाद! मांस का खाना,
मृत्यु से बचना, मृत्यु बिछाना
अपने आह में आँसू भरना,
दूजे का तन अग्नि पकाना

हम साक्षात पाप के भागी
मानवता के द्रोही हैं
धर्म ग्रन्थ लिए हिंसक मानव,
हम खुद ही विद्रोही हैं

जग-जीवन के रक्षक बन,
आएं मिल कर काम करें
शाकाहार अपनाने खातिर,
खुद आत्मा से संग्राम करें

अर्चना श्रीवास्तव