बढ़े चलो बढ़े चलो- प्रीति कुमारी

बढ़े चलो बढ़े चलो,
रुको नहीं डटे रहो,
डगर पर अपनी चले चलो

गिरो उठो चलो सम्भलो,
थकने का न नाम लो,
वीर हो तुम रणधीर हो तुम,
बढ़े चलो बढ़े चलो

डरने का मत नाम लो,
मंज़िल पर अपनी ध्यान दो,
बढ़े चलो बढ़े चलो

चिड़ियों सा चहचहाओ,
सागर सा लहराओ तुम,
सेवा के पथ पर,
बढ़े चलो बढ़े चलो

पीछे तुम मुडो नहीं,
तान सिना डटो वही,
वतन पर कुर्बान हो,
बढ़े चलो बढ़े चलो

रक्त से अपने सींच दो,
काल घटा का रुख मोड़ दो,
गुलामी की जंजीरें तोड़ दो,
बढ़े चलो बढ़े चलो

-प्रीति कुमारी