चलती रहे सांस जब तक: हरि आनंद

गिराने पर यहाँ सब तुले हैं
तू उठकर संभलना सीख ले

चलती रहे सांस जब तक
तब तक चलना सीख ले

है सहारे की आस तुझको
तो फिर मर कर देख ले

मुनासिफ होगा मरने से पहले
जीवन को ढंग से देख ले

हरि आनंद