दोस्ती का रिश्ता- अतुल पाठक

दोस्ती का रिश्ता नाता होता ऐसा ख़ास
जिसमें घुली रहती सदा अपनेपन की मिठास

दोस्ती का रिश्ता जो हरदम होता साथ
जब भी गिरा एक तो दूजे ने थामा हाथ

दोस्ती का रिश्ता जो हर सुख दुःख को बाँट लेता
सच्चाई की राह दिखाकर बुराइयों से बचा लेता

दोस्ती का रिश्ता अँधियारे पथ पर दीप जला देता है
जीवन में अपार खुशियाँ लाकर उसे
जन्नत बना देता है

दोस्ती का रिश्ता प्रेम के निःस्वार्थ धागे से जुड़ा होता है
तभी तो दोस्ती की बुनियाद को हिला कोई न पाता है

रिश्तों में बढ़कर होता दोस्ती का रिश्ता
तभी तो आज भी चर्चित है कृष्ण सुदामा का रिश्ता

-अतुल पाठक
हाथरस, उत्तर प्रदेश