दुल्हन- शिवम मिश्रा

दुल्हन बनना आसान कहां
नए सपने नई उम्मीद होती है
नए रिश्ते, नया परिवार होता है
नई आशा, नई पहचान होती है
नया पहनावा नया साज होता है

दुल्हन बनना आसान कहां
नई जिम्मेदारी, नया संसार होता है
नया परिवेश, नया आगाज़ होता है
नया मंदिर, नया भगवान होता है
नए घूंघट में सिमटी नववधू होती है

दुल्हन बनना आसान कहां
नई दुल्हन का सौंदर्य नव मुस्कान होता है
नए विवाहित जीवन की शुरुआत होती है
नया ससुराल, पुराना मायका होता है
नई लक्ष्मी अब ससुराल की दुल्हन होती है

-शिवम मिश्रा ‘गोविंद’
मुंबई, महाराष्ट्र