एहसास- निशांत खुरपाल

हाँ, इसमें सब कुछ नया सा लगता है
कई बार चल तो सब कुछ रहा होता है
लेकिन, सब कुछ ना जाने,
क्यों ठहरा सा लगता है?

अकेले में मुस्कुराना
और भीड़ में घबराना
चलते-चलते यूँ ही कहीं,
ख्यालों में खो जाना
ख्यालों में ही तेरा हो जाना
और तुझे अपना बनाना
तुझे सोच हँसना और
तुझे सोच ही मुस्कुराना

आँखें बंद करने पर भी,
तुझे ही सामने पाना
हाँ बिल्कुल, शायद यही तो इश्क़ है
जो मुझे हर उस चीज़ से है,
जो तुझ से जुड़ी हुई है

जो मुझे तुझ तक ले आती है
और तेरा होने का एहसास दिलाती है
एहसास, तेरा होने का एहसास
जिस एहसास के होने से ही
मेरी दुनिया मुकम्मल है

-निशांत खुरपाल ‘काबिल’
अध्यापक, कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल,
पठानकोट