पर्यावरण सुरक्षा-जीवन सुरक्षा- त्रिवेणी कुशवाहा

पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
बरसाओ खूब पानी,
भीग-भीग कर खूब नहाओ
जब तक जीवन की रवानी

नदी नालें झरनें सब
स्वतः स्वच्छ हो जायेगें,
जब वर्षा रानी के संग
जीवन का संगम पायेगें

सजीवों का निर्जीवों के संग
जब मिलन होगा
निर्जीवों का सजीवों के संग
आत्म-मंथन होगा

भरेगें अंम्बु से ताल-तलैया
पर्यावरण में होगी खूब हरियाली,
शेर दहाड़े, झींगुर बोले
चिड़िया चहके डाली-डाली

साफ-स्वच्छ हरे-भरे पत्तों से
आक्सीजन खूब निकलेगा,
धुंध हटेगा प्रदूषण का
भास्कर भी चमकेगा

पेड़ काटने की मनाही नहीं
खूब काटो,
वंश वृद्धि में तरक्क़ी जितनी
उसी अनुपात में उसको भी लगा दो

ये पेड़-पौधे आक्सीजन के साथ
जीवन दान देतें हैं,
फल-फूल औषधियों के संग
मरघट का साथ देते हैं

जीवन मरण जिसके साथ निहित है
पर्यावरण है उसका नाम,
पर्यावरण सुरक्षा जीवन सुरक्षा
नहीं तो होगा जीवन का काम तमाम

-त्रिवेणी प्रसाद कुशवाहा