मुसीबत से मुक्ति- मनोज शाह

लेकर संकल्प अपनी समाजों की संयम सुधारें
प्रतिकूल  प्रभाव पड़ने वाली वो नियम सुधारें

जिंदगी के हर मोड़ पर खुद से मुलाकात कर,
हंसते मुस्कुराते खुशी की लहजे को हम सुधारें

शांति समर्पण दो हमें हर दुख दर्द के बदले,
आओ मिलके मानव सभ्य बदल के परम सुधारें

दिल की ज़ख्म से पड़ जाती है जिंदगी मुश्किल में,
जो यादें खुश करें हमें उस आंखों की नम सुधारें

समाज की और  देश की संपूर्ण सन्नाटे की
खोल कर गाठें, भूलकर घाव वह ज़ख्म सुधारें

खुशी की बातें खुशी के नाते खुशी की हो रातें,
आवाज़ में हंसी अंदाज बारिशों की शबनम सुधारें

संकट की घड़ी में जीवन को झूठा ना बनाएं,
ज़ख्मों पर मरहम लगाने वाले को हम पुकारें

संसार अभी भी कितने विषयों से हैं अनजान परे,
ज्यादा से ज्यादा ईश्वर, अल्लाह, मसीह, रब पुकारें

लेकर संकल्प अपनी समाजों की संयम सुधारें
प्रतिकूल  प्रभाव पड़ने वाली वो  नियम सुधारें

-मनोज शाह मानस
नई दिल्ली