गणतंत्र दिवस: अतुल पाठक

मना रहे गणतंत्र दिवस खुश हो झंडा फहराते हैं,
याद शहीदों की कर-कर के गीत खुशी के गाते हैं।

याद करो चरखे वाले को कैसी अजब कताई की,
तोप-तमंचे नहीं चलाए, सत्याग्रही लड़ाई की।

याद भगत सिंह को भी कर लो, इंकलाब नहीं भूला था,
स्वतंत्रता के लिए वीर, फाँसी पर झूला-झूला था।

दुर्गावती रूप दुर्गे का रख भारत में आई थी,
युद्ध क्षेत्र में रण चण्डी वन मारा-मार मचाई थी।

महाराणा ने देश की खातिर अपनी जान गँवाई थी,
जंगल-जंगल भटक-भटक कर घास की रोटी खाई थी।

याद शिवाजी को भी करलो  चतुराई का चोला था,
मुगलों की ताकत को जिसने तलवारों पे तौला था।

याद करो लक्ष्मीबाई को मरने तक ना भूली थी,
अंग्रेजों को झाँसी देना हरगिज़ नहीं कबूली थी।

आओ मिलकर याद करें अब उस सेनापति बोस को,
दुनिया भर की कोई ताकत, रोक सकी न जोश को।

अतुल पाठक ‘धैर्य’
हाथरस, उत्तर प्रदेश