इस वक़्त में चिट्ठियां: जॉनी अहमद

पुरानी बीमारियों की नई दवा कौन करेगा
गर माँ ना हो तो बोलो दुआ कौन करेगा

बच्चे तो हर एक मर्तबा ज़िद करते रहेंगे
वालिद ना अगर हो तो मना कौन करेगा

ऐ दोस्त बे-हिसाब हैं दुनिया में मेरे ख़ास
पर तू जो ना हो साथ लड़ा कौन करेगा

एक लम्हें की देरी भी किसी को नहीं मंजूर
इस वक़्त में चिठ्ठियां लिखा कौन करेगा

सबको हैं ख़ुद-परस्ती से बेइंतहा उल्फ़त
औरों की ख़ुशी सुनके हँसा कौन करेगा

जॉनी अहमद ‘क़ैस’