जीवन का आंकड़ा: गौरीशंकर वैश्य

प्रेम नया व्यापार हुआ
घर-घर में बाजार हुआ

पाप करे, आकर धो ले
धन, गंगा की धार हुआ 

फूलों के सम्मेलन में
काँटों का सत्कार हुआ

बात न होती भाई से
फेसबुकी व्यवहार हुआ

चिंताग्रस्त नागरिक हैं
प्रजातंत्र बीमार हुआ

भवन ले लिया किश्तों पर
सिर पर भारी भार हुआ

जीवन एक आंकड़ा है
गिनते-गिनते पार हुआ

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117 आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश-226022
दूरभाष- 09956087585
ईमेल- [email protected]