सरगोशियाँ हैं आज भी: रकमिश सुल्तानपुरी

तेरे मेरे इश्क़ की कुछ सुर्ख़ियाँ हैं आज भी
आशिक़ी में दर्दोंगम की आंधियाँ हैं आज भी

ज़िंदगी में उम्र की कुछ सख़्तियाँ हैं आज भी
दर्द है पर दर्द में भी मस्तियाँ हैं आज भी

खामखां कुछ लोग मुझको कह रहे हैं बेकुसूर,
इश्क़ के मद्देनजर कुछ ख़ामियाँ हैं आज भी

फूल से चेहरे पे बेशक वक्त ने ढाया कहर,
रूह में वो कश्मकश सरगोशियाँ हैं आज भी

बेजुबां इस दिल को टूटे एक अर्सा हो गया,
है रुआंसी आँख दिल में सिसकियाँ हैं आज भी

तुम बिना ये गाँव-गलियां हो गईं सूनी मगर,
दिल के तहखानों में तेरी चिट्ठियाँ हैं आज भी

इश्क़ में रकमिश तुम्हें तो प्यार का दरिया मिला,
मेरे हिस्से में बची तन्हाइयाँ हैं आज भी

रकमिश सुल्तानपुरी