गुरु वंदना- अन्नपूर्णा देवांगन

गुरु मेरे सांई गुरु मेरे दाता
गुरु मेरे जीवन के भाग्य विधाता

गुरु बिन डगमग मेरी जीवन नैया
गुरु ही तो मेरे हैं नाव खेवइया
गुरु बिन भवसागर पार कौन लगाता
गुरु मेरे जीवन के भाग्य विधाता

तम से भरी दुनियाँ में राह दिखाये
ज्ञान ज्योति उर में वही तो जलाये
गुरु बिन सदमार्ग हमें कौन दिखाता
गुरु मेरे जीवन के भाग्य विधाता

गुरु से ही पाऊँ मै भगवन दर्शन
गुरु को ही अर्पण करूँ सारा जीवन
गुरु चरणन में निशदिन माथ नवाता
गुरु मेरे जीवन के भाग्य विधाता

संताप मरुस्थल में गुरु ठंडी छांव है
जीवन सफर का केवल वे ही ठांव है
गुरु मेरे हृदय पूज्य गुरु मेरे ज्ञाता
गुरु मेरे जीवन के भाग्य विधाता

-अन्नपूर्णा जवाहर देवांगन
महासमुंद, छत्तीसगढ़