हिम्मत- सोनल ओमर

हर्ष आप पूरे भारत में, यूपीएससी के सिविल सर्विसेज एग्जाम में पहली रैंक में आये हैं। आप आईएएस अफसर बनने वाले हैं। कैसा लग रहा है आपको?…एक पत्रकार ने पूछा।

बहुत अच्छा लग रहा है… मेरा बचपन का सपना था। और इस सपने को पूरा करने के लिए मैंने अपनी पूरी मेहनत लगा दी।

आपको इसकी प्रेरणा कहाँ से मिली?….दूसरे पत्रकार ने पूछा।

अपनी माँ से…, सच पूछिए तो ये मेरी माँ का सपना था। मेरी माँ एक पढ़ी-लिखी औरत थी। वह अपनी शिक्षा से कुछ करना चाहती थी, कुछ बनना चाहती थी। पर उनकी शादी एक ऐसे इंसान से हो गई, जिसने उनको धोखा दिया। वो एक अनपढ़ इंसान थे, उन्होंने झूठ बोलकर मेरी माँ से शादी की कि वह पढ़े-लिखे हैं, और मेरी माँ को अपनी इच्छा का कार्य भी करने देंगे। लेकिन शादी के बाद पता चला की सब झूठे वादे थे। मैंने बचपन से ही अपनी माँ को अपने शराबी पिता से मार खाते देखा है। माँ गरीब घर से थी। उनके छोटे भाई-बहन थे, जिस कारण वो अपने मायके भी नहीं जा पाई कभी। पिता जी जो कमाते थे सब शराब में उड़ा देते थे। खाने के भी लाले पड़ गये थे। पर मेरी माँ ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने घर पर रहते हुए ही सिलाई का कार्य किया। पूरे घर की जिम्मेदारी उठाई और संघर्ष करते हुए मुझे इस लायक बनाया। उनके संघर्ष ने हमेशा मुझे हिम्मत दी। उन्होंने हमेशा एक ही बात सिखाई कि जो भी कार्य करो पूरी लगन व ईमानदारी से करो। कभी हिम्मत न हारो। कभी अपने संघर्ष को न भूलों कि तुम यहाँ तक कैसे पहुँचे। हिम्मत न छोड़ने वालों की एक न एक दिन जीत निश्चित होती है।आज मैं जो कुछ भी हूँ उनके ही सीख, संघर्ष और हिम्मत की वजह से हूँ।

हर्ष की आँखों से आँसू निकल रहे थे और सभी पत्रकार उसकी कहानी सुनकर तालियाँ बजा रहे थे।

-सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश