हिंदी का उद्धार करूँगी: सोनल ओमर

बाधाएँ कितनी भी आएँ, 
सबको ही मैं पार करूँगी।
हिंदी में ही कार्य करूँगी, 
हिंदी का उद्धार करूँगी।।

हिंदी बन जाए राष्ट्र भाषा, 
सबकी है यही अभिलाषा।
जन-जन के इस सपने को, 
मिलकर साकार करूँगी।
हिंदी में ही कार्य करूँगी,
हिंदी का उद्धार करूँगी।।

मूल छवि दिखे आईने में,
सीधा दस्तक दे जो सीने में।
बनाकर कलम को तलवारें,
ऐसे शब्दों से मैं वार करूँगी।
हिंदी में ही कार्य करूँगी,
हिंदी का उद्धार करूँगी।।

हिंदी ने मान-सम्मान दिलाया,
निज अस्तित्व का भान कराया।
जीवनपर्यंत साहित्यसाधना कर,
हिंदी का प्रचार-प्रसार करूँगी।
हिंदी में ही कार्य करूँगी,
हिंदी का उद्धार करूँगी।।

हिंदी की हूँ एक अनुयायी,
निस्वार्थ सेवा करने आयी।
कर्मों का जो भी फल मिलेगा,
उसको सहर्ष स्वीकार करूँगी।
हिंदी में ही कार्य करूँगी,
हिंदी का उद्धार करूँगी।।

सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश