रंग जीवन के: मुकेश चौरसिया

कभी हलके कभी गहरे, बिखरे रंग जीवन के।
सिखाते नित नये ककहरे रंग जीवन के।।

सुहानी भोर सी खुशियाँ,
जीवन में कभी लाली,
कभी खत्म न हो जैसे,
कभी गम की रात काली।

हँसी कभी,कभी आँसू आँख में ठहरे रंग जीवन के।
कभी हलके कभी गहरे,बिखरे रंग जीवन के।।

जगत में धूप छाया है,
कभी आशा निराशा है,
हर रंग में नट है,
यहाँ अद्भुत तमाशा है।

पल – पल में जो बदले हजारों चेहरे जीवन के।
कभी हलके कभी गहरे, बिखरे रंग जीवन के।

हर दिन नयी कोशिश,
नये सपने इरादे हैं,
बस एक वक्त है राजा,
बाकी सब प्यादे हैं।

गिरने और उठने के, बहुतेरे रंग जीवन के।
कभी हलके कभी गहरे, बिखरे रंग जीवन के।

प्रारब्ध भी है,कर्म भी,
सभी कुछ बारी बारी है
रास्ते में पाँव बढ़ते,
लक्ष्य में दृष्टि हमारी है।

अपने हाथों से ही हमने, चितेरे रंग जीवन के
कभी हलके कभी गहरे, बिखरे रंग जीवन के।

मुकेश चौरसिया
गणेश कालोनी,केवलारी,
सिवनी, मध्य प्रदेश