कोमल सी बेटियाँ: सोनल ओमर

कलियों की तरह खिलती और,
फूलों सी महकती हैं बेटियाँ।

तितली जैसी कोमल रंग-बिरंगी,
चिड़ियों सी चहकती हैं बेटियाँ।

बारिश की एक बूँद सी होती,
धरा की पहली सुंगध सी हैं बेटियाँ।

गंगा की जल-धारा सी निर्मल,
सपनों की तरह सुंदर होती हैं बेटियाँ।

वसंत की नवीन कोपल सी होती,
जेठ की दुपहरी में छांव सी शीतल है बेटियाँ।

भययुक्त परिवेश में डरकर जीती,
आत्मीय संरक्षण में बेफिक्र हँसती है बेटियाँ।

प्यार भरी थपकी से सहज होती,
स्पर्श खुरदरा हो तो रोती है बेटियाँ।

माँ-बाप के दिल की धड़कनें होती,
बड़े नाजों के साथ पलती हैं बेटियाँ।

बहन के माथे की रोली बनती,
भाई के कलाई की मौली है बेटियाँ।
घरवालों का मान-अभिमान होती,
भारत देश की आन-बान-शान है बेटियाँ।

सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश