एक और अनेक: जसवीर त्यागी

तुम हो एक और व्यवधान अनेक

कोई भी काम करने के लिए
पहली सीढ़ी
तुम्हारा एकाग्र होना है
बाकी सब उसके बाद की सीढ़ियां हैं

एकाग्रता के पहले ही
पायदान पर पैर जमाना
कितना जटिल और मुश्किल है
यह तुम जानते ही होंगे

आसपास की कितनी ही
बाधाएँ होंगी
जो तुम्हारी एकाग्रता को तोडेंगी

तुम हो एक
और व्यवधान अनेक

तुम कभी यह मत भूलना
सूरज एक है
लेकिन जब निकलता है
असंख्य घरों का
अंधेरा हरता है।

जसवीर त्यागी
नई दिल्ली