जीवन के सफ़र में: पूजा कुमारी

आज खुदा से एक सवाल है किया
उसमे मैंने ये पूछ है लिया

ऐ खुदा
तुमने ज़िन्दगी तो दी
पर ज़िन्दगी में कुछ ना दिया
रिश्ते तो सारे दिए
पर प्रेम का एहसास ना दिया

फिर खुदा ने मुझ ये कह दिया
बता क्या नहीं तुझे है दिया
तुझे सब से काबिल है बना दिया
गिरने पर संभलने का हुनर है दिया

सभी से अलग तेरे विचारो को है बनाया
अच्छाइयों की कीर्ति से तुझे है नवाज़ दिया
तुझे अपने संग चलने के काबिल है किया
तेरा हर परिस्थिति में साथ है दिया

दुखरूपी अग्नि की तपस्या में तपा कर,
तुझे अज्ञानता से मुक्त है किया
जब तुझे खुद अकेले चलना है सिखलाया
तो इस जीवन के सफर में
किसी के संग चलने की इच्छा
मन में क्यों है व्यक्त किया

तेरे रूह को इस बात से भी रूबरू है कराया
की इस जहां को मैंने मोह माया के अतिरिक्त कुछ और ना बनाया
तेरे जीवन की तपस्या से ही

तेरी रूह को इस मोह रूपी जाल से
मुक्ति है दिलवाया
जो दुनिया में कइयों को नसीब नहीं
उस गुण रूपी ज्ञान कि परछाई से
तेरा वास्ता है करवाया
अब बता तुझे क्या नहीं है दिया,

फिर उन्हें मैंने,
अपनी खामोशी के अलावा
और कोई जवाब ना दिया

पूजा कुमारी
बीए छात्रा, पीजीजीसीजी-42,
चंडीगढ़