प्यार तो वो मंज़िल है जनाब: प्रीति नेगी

प्यार किसी का मोहताज नहीं होता
प्यार गुड्डे-गुड़िया का खेल नहीं होता
प्यार को हासिल करना ही सब कुछ नहीं होता
प्यार तो वो मंज़िल है जनाब!

जहाँ किसी रिश्ते में मिठास हो,
अपनी ख़ुशी की क़ुर्बानी देने की,
और बदले में कुछ पाने की,
दूसरों के सुख-दुःख में मगन होने की,
सब कुछ न्यौछावर कर देने की
दूसरों की ख़ुशी के लिए

आज क्यूँकि अब ये कलयुग है जनाब!
जैसा करोगे, वैसा ही पाओगे
ज़िंदगी किसने जानी कितनी हैं
जितनी भी है यारों जी लो सभी के संग यारों
नफ़रत भरी दुनिया को थोड़े प्यार की ज़रूरत है
मायावी नगरी को बस सब के साथ की ही तो ज़रूरत है

इतनी बख़्शीश कर ऐ ख़ुदा…
इस ब्लैक एंड व्हाइट की दुनिया में
भर दे अपने सतरंगी रंग,
कर दे सबको रंगीन ख़ुशियों के बहार में

क्या है मेरा, क्या कुछ तेरा
जो भी है सिमट के इसी धरा पर रह जाएगा
कर तू बस इतना ही रहम अपने बंदे पर
खोल दे आँखों से ये मायावी जाल को
और बस बंदी बना ले अपने प्यार में

प्रीति नेगी