कलयुग का रक्तबीज: कोरोना- अरुण कुमार

चीन के वुहान में, जनम लिया जिसने है
धीरे-धीरे दुनिया में पांव फैलाया है
संकट में डालकर दुनिया, कोरोना ने
सकल समाज पे कहर बरपाया है

बड़ा संकट है दुनिया पर, कोरोना नाम है जिसका
करे बेहाल जान ले ले, छीने सुख चैन हम सबका
शहर को भी वीरान कर दी, जान ले ली कमर तोड़ा
कोरोना ने कहर बरपा, कहीं का भी नहीं छोड़ा

रक्तबीज कलियुग का यह, पल-पल प्रतिपल विस्तार करे
मानवता को रोगी कर दे, जीवन हर ले निस्तार करे
दुर्गम है दुर्ग निकल पाना, दुर्गा की आज जरूरत है
बिंदु बीज का जो पान करे, प्रकृति की वह माँ मूरत है

अजीब दानव है यह जिसका, न रंगत है न छाया है
विषाणु सूक्ष्म है इतना, सहज न देख पाया है
कोरोंना से है गर बचना, तो बाहर न निकलना तुम
ढका हो नाक, दूरी हो, साबुन से हाथ मलना तुम

अगर है छींक, सर्दी, फ्लू , तुरंत वैद्यों से मिलकर के
बताई सावधानी पर निहायत ही अमल करना
स्वच्छता, सावधानी ही, बचा उपाय अंतिम है
हुई गर चूक थोड़ी भी, तो जीवन पर भी मुश्किल है

कॉरोना का कहर देखो, पूरी दुनिया में हलचल है
बने फिरते थे बलशाली,वहीं सब आज निर्बल है
सोशल डिस्टेंसिंग एकमात्र, इस दुश्मन का संहारकर्ता है
आये जो भी इसके जद में, मुश्किल से बड़ी उबरता है

जीवन प्यारा है गर तुमको, मेरी इक बात कही मानो
तोड़ो कुचक्र इस दानव का, दूरी रखो दुश्मन जानो
जान होगा जहां होगा, कोरिना का दमन होगा
मिटेगा खौफ दुनिया से, पुनः चैनो अमन होगा

-अरुण कुमार नोनहर
बिक्रमगंज, रोहतास
संपर्क- 7352168759