गौरैया: गौरीशंकर वैश्य

नन्ही-सी गौरैया है
प्यारी-सी गौरैया है
घर-आँगन में फुदक रही,
भोली-सी गौरैया है

चिचियाती होते ही भोर
चींचीं, चींचीं करती शोर
कभी बैठ जाती मुड़ेर पर
जाती कभी वाटिका ओर

बिस्किट पाकर, खाती कुर्र
झट से उड़ जाती है फुर्र
छोटी मुन्नी नटखट है,
उसे देख कर देती हुर्र

मैं देता दाना-पानी
खुश होती चिड़िया रानी
छज्जे में घोंसला बना,
अंडों पर है निगरानी

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117 आदिलनगर, विकासनगर,
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