जब तुम्हारी याद आती है: प्रार्थना राय

जब तुम्हारी याद आती है
दबे पाँव प्रिये, सच कहती हूं
सूखे पत्तों की तरह बिखर जाती हूं

हृदय की पीर आवाज़ उठाती
अपरिचित सी धड़कने
सोया आसरा जगा रही

रात का अकेलापन बादर में
चपला बन तड़के, बरखा की
लडियों के जैसे ऑंखें भी बरसे

सपनों की हाट सजाये
बैठी तेरी आस लगाये, आओ प्रिये
मादक पल को हम दोनों मिल अनुबोधें

बुझे हुए प्राण को अमिय पेय का पान करा दो
सुर्ख लाल कुमकुम से जीवन की
रिक्तता को सम्पूर्ण करो

थाम कर मेरा कर प्रिये आ हर लेना
कलेश सारा, सुखद जीवन
कल्पना को यथार्थ कर देना

प्रीति की ठाँव में प्रेम का श्रृंगार भर 
आलिंगन करूं स्नेह कर्णिका से
सजा दो हृदय दर्पण

बिखरी-बिखरी राहों को लक्ष्य साध का मंत्र
सिखा दो जीवन की गर्माहट को
शीतल एहसास करा दो

प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश