कोविड-19 विश्व में बदलते भारत का स्वरूप- नेहा सिंह

कर्तव्य भी है
तो संकल्प भी है
अगर है रोशनी उड़ानों की
तो हौसले भी है मेरे देश के पांडवों में भी
तो आजमा ले जोर
जितना है तुझ में दम
यह मेरे भारत का बदलता स्वरूप है हस्तिनापुर
किसी अदृश्य वार से मेरे देश के स्वतंत्र परिंदे
फिर उड़ेंगे बेपाक अपनी मुंडेर से
ये योद्धा है मेरे भारतवर्ष भीष्म पितामह के
चाहे हो डॉक्टर या सफाई कर्मचारी या गरीब
या हो मेरे देश के निडर जवान
यह रणभूमि है महाभारत में फैली महामारी की
तूने देखा ही कहां है विश्व में बदलते
मेरे भारत के स्वरूप को बहती उम्मीद की चिंगारी को
अगर है दुर्योधन का प्रपंच
तो है धर्म पांडवों का
यह तो केवल मेरा महाभारत है
एक दिन फिर मांगेंगे जवाब मेरे देश के गरीब
रोती हुई माएँ बिलखते हुए बच्चे
छालौ‌ से छिले हुए पांवो से सनी लाल खून से सड़कें
तख्तगाहों में प्रमाण और सबूतों के साथ
होंगी खातों में दर्ज कई शिकायतें कई केस
पर नहीं होगा जवाब तुम्हारे पास
राष्ट्र चेतना का अभिमान है सुलगता संग्राम है
तिरंगे की खुशबू की पहचान है
वार करे गर दुश्मन तो दुश्मन का काल है
नौजवान हम तिरंगे के कफ़न में लिपटे
या ओढ़ कर जीवन कुर्बान कर जाएंगे
विश्व में बदलते यह मेरे भारत का स्वरूप है
वह 9 मिनट 9 बजे 22 मार्च की रात
दिए से जगमगाता मेरा भारत
विश्व का सबसे खूबसूरत मंजर दिख रहा था
जहां अंधेरों के साए को दूर करती
उम्मीद की किरणों की लहर दौड़ रही थी
एक घी के दिए से
मेरे भारतवर्ष की रूप रेखा बदल रही थी
उस दिए की जलती लोह से निकलती
वह चीख मेरे देशवासियों के
निसंदेह बुलंद हौसलों का प्रमाण थी
सर्वसाधारण कि वो भीड़
यह बदलता हुआ रूप है मेरे भारत का
जो हर काल में युग में हर गांव में हर पीढ़ी को सजाए रखता है
मंजिलें तो बहुत है उस जवान की
पर खड़ा है देश की सीमाओं पर
पहरी के जज्बे का जवान है
अरमानों के आसमान में लहराते तिरंगे की शान है
यह बदलते मेरे भारत के नौजवान है

नेहा सिंह
चंडीगढ़