क्यों कहता है समाज: शिल्पा कुमारी

पापा की परी कहते है मुझे,
फिर उडने क्यों नही देता यह समाज?
मेरी माँ भी मेरे साथ खड़ी है
फिर कुछ करने क्यों नहीं देता यह समाज?

लड़की पैदा हुई हूँ मेरे भी कुछ अधिकार हैं
लेकिन जब भी घर से बाहर निकलूँ
क्या रेप बन जाता है लड़कों का जन्मसिद्ध अधिकार?
जैसे-जैसे मैं बड़ी होती हूँ
रोज एक सुनने को मिलती है बात
तुम तो पराया धन हो क्या मेरे
माँ-बाप को अपना कहने की नहीं है मेरी औकात?

यही है मेरा दर्द कि
मुझे पराया कहा जाता है
मेरे शब्दों से मेरा दर्द समझ कर देखो,
ऐ, समाज क्या मेरा नहीं है माँ-बाप पर अधिकार?
मुझे भी जीना है अपनों के साथ
फिर क्यों पराया कहता है मुझे यह समाज?

शिल्पा कुमारी