मोहब्बत और शहादत: मनोज शाह

आओ प्रियतम प्रेम उत्सव मनाएं
आओ प्रियसी मोहब्बत मनाएं
शांति की ध्वनि फैलाते जाएं
प्रेम की ध्वनि फैलाते जाएं

कल तुम रहो ना रहो हम रहें ना रहें
आओ गले मिलकर मोहब्बत सजाएं
आओ गले मिलकर शहादत मनाएं

वतन से मोहब्बत इस तरह निभा गए
मोहब्बत को छोड़ वतन पर जान लुटा गए

इतिहास के वह सुनहरे पन्ने हैं
जो हमसे ही राज सिंहासन चुने हैं

देश प्रेमी देश की हवा देश की लहर है
शहीदों की शहादत में देश दुनिया शहर है

मिट्टी आलिंगन मिट्टी चुंबन मिट्टी से प्यार
आंख मिचोली खेले हम हमारा ये संसार

शहीदों को नमन करें देवी देवता आसमानों से
सहेज रखी है आंसू पत्नी बड़ी अरमानों से

कभी देखा नहीं पत्नी के नैनों में अश्क़
बड़ा ही गर्व अपने जीवनसाथी देशरक्षक

आओ माताओं आओ बहनों आओ बंधु
नमन करें उन वीरों को रख रक्षक तट सिंधु

कल तुम रहो ना रहो हम रहें ना रहें
शांति की ध्वनि फैलाते जाएं
भेदभाव अराजकता मिटाएं

लुका छुपी अदला-बदली को थाम लें
शांति सद्भाव प्रेम सदाचार से काम लें

आओ प्रियतम प्रेम उत्सव मनाए
आओ प्रियसी मोहब्बत मनाए
आओ गले मिलकर मोहब्बत सजाएं
आओ गले मिलकर शहादत मनाए

-मनोज शाह मानस
सुदर्शन पार्क,
मोती नगर, नई दिल्ली