मैं राखी बांधने आई हूँ: जयलाल कलेत

प्यार का सागर जैसा,
भैया मैं तो पाई हूँ
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने आई हूँ

रक्षासूत्र थाली में लेकर,
मैं सामने आई हूँ
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने आई हूँ

पावन पवित्र रिश्ता हमारा,
ये बतलाने आई हूँ
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने आई हूँ

भाई बहन का प्यार को,
रेशमी डोरी में लाई हूँ
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने आई हूँ

तिलक और दीपक के साथ,
आरती थाली लाई हूँ
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने आई हूँ

भैया के कलाई में,
एक बंधन बांधने आई हूँ
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने आई हूँ

रिश्ता हो अटूट हमारा,
ऐसे कसमें खाई हूँ
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने आई हूँ

रिश्ते हो हरदम मधुर,
मैं ऐसे मिठाई लाई हूँ
मेरे प्यारे भैया को,
मैं राखी बांधने की हूँ

जयलाल कलेत
रायगढ़ छत्तीसगढ़