मेरा सावन: सीमा चोपड़ा

तेरी यादों की बारिश है,
भीगा-भीगा सा दामन ,
और बहका-बहका सा मन है,
मैंने अश्क़ों में एक सावन छुपा कर रखा है,

तेरे साथ गुज़रे ,
उन गीले-गीले लम्हों को,
चुन-चुनकर इक़ माला में पिरो कर रखा है,
मैंने अश्क़ों में एक सावन छुपा कर रखा है!

बहती पवन ठंडी पुरवैया,
सिहर-सिहर बदन सिहराये,
काली घटाओं को गेसुओं में बाँध कर रखा है,
मैंने अश्क़ों में एक सावन छुपा कर रखा है!

सराबोर हूँ मैं सर से पाँव तक,
सिर्फ तेरी ही यादों में,
मेरी रूह का इक़ इक़ कतरा भिगो कर रखा है,
मैंने अश्क़ों में एक सावन छुपाकर रखा है!

नींदे हैं अपनी और सपने हैं पराये,
बड़ी शिद्दत से तेरी मुहब्ब्त को,
बिस्तर की सलवटों में संजों कर रखा है,
मैंने अश्क़ों में एक सावन छुपाकर रखा है!

सीमा चोपड़ा
दाहोद, गुजरात