माँ हो तुम, बस माँ हो तुम: अनामिका गुप्ता

अनामिका गुप्ता
सरकारी अध्यापिका
सपोटरा, करौली

खुदा भी झुक जाए चरणों में
बात जो ममता की आए
माँ को पाने की खातिर
स्वयं प्रभु भी बालक रूप में आए

कोख में रखती है नौ महीने
दर्द और विपदा को सहती
मल-मूत्र बिछोना, रातों को जगना
ममता की कहानी समर्पण से लिखती

तू ही आदि, तू ही अनंत
आंचल में तेरे सुकून और आनंद
धरती अंबर और तारे
गावै महिमा सकल ब्रह्मांड

क्या लिखें तुझ पर कैसे लिखें
शब्दों में महिमा कैसे बताएं
तन मन धन सब कर दें अर्पण
फिर भी क़र्ज़ चुका ना पायें

जिस्म हो तुम, रूह हो तुम
जीवन का श्रृंगार हो तुम
ईश्वर भी जिसे करें नमन वो

माँ हो तुम, बस माँ हो तुम