पहाड़ की पगडंडी- मनोज शाह

चलो एक बार पहाड़ की पगडंडी घूम आते हैं
एक अद्भुत तजुर्बा लिए जिंदगी झूम आते हैं

जिंदगी क्या है
जिंदगी की खुशी क्या है
पल-पल की मस्ती क्या है
जिंदगी में जिंदगी की पगडंडी क्या है…

आओ चलें वो जिंदगी को आज़माने के लिए,
मनोरम पर्वत शिखर पहाड़ों को चूम आते हैं

ये पहाड़ी
हरियाली व पगडंडी
अति विश्वमोहित खुशहाली
स्वच्छ वातावरण सुगंधित अनकहीं…
अप्रत्यक्ष जीवन की ये प्रत्यक्ष आनंदमय में,
जीवन की हरियाली और रास्ते घूम आते हैं

हवाएं गुनगुनाते हैं
फिजाएं भी महकाते हैं
जीव जंतु चिड़िया चाहचहाते हैं
जिंदगी यहां प्राकृतिक सौंदर्य में गाते हैं…
पत्थर, नदिया, फूल पत्ते और विशाल वृक्ष,
हिमालय की चांदी महल चलो घूम आते हैं

चलो एक बार पहाड़ की पगडंडी घूम आते हैं
एक अद्भुत तजुर्बा लिए  जिंदगी घूम आते हैं

-मनोज शाह मानस
नई दिल्ली