बेटियाँ जब विदा होती हैं: जसवीर त्यागी

बेटियाँ जब विदा होती हैं
घर से

सूनेपन की बारिश में
भीग जाता है घर-आँगन

घर के हर कोने में छिपा
बेटियों की अनुपस्थिति का अहसास
दूर से ही महसूस होता है

रेगिस्तान में चमकती है ज्यों
दूर-दूर तक 
सिर्फ़ रेत ही रेत

जसवीर त्यागी
नई दिल्ली