बाल श्रमिक: अंजना वर्मा

अंजना वर्मा
ई-102, रोहन इच्छा अपार्टमेंट
भोगनहल्ली, विद्या मंदिर स्कूल के पास
बेंगलुरू-560103
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बच्चे का बचपन खोया है
खेल-खिलौने क्या होते हैं ?

सारा भवन घूमकर देखा
नहीं हाथ में अन्न की रेखा
कितनी उसने खाई गाली
फिर भी भरी न उसकी थाली
दो भी कौर खिला दे कोई
ऐसे अपने क्या होते हैं?

घर छूटा क्या साथ रह गया?
सब कुछ तो फुटपाथ रह गया
कौन सुनाए उसे कहानी?
माँ की आँखों में था पानी
नहीं जानता है वह बालक
मीठे सपने क्या होते हैं?

इन रस्तों पर छाँह नहीं है
बिन मजदूरी राह नहीं है
कागज के कोमल अफसाने
कहो भला वे कैसे जानें
कोई उनसे जाकर पूछे
तम-तहखाने क्या होते हैं?