कान्हा की लीला: डॉ निशा अग्रवाल

डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान

तुझे कान्हा कहूं या लाल मोरे सांवरिया
गोपाला कहूं या बाल, मोरे सांवरिया

रंग बिरंगी लीला न्यारी,
गौ माता रहे शरण तिहारी
ग्वाल बाल सब सखियों के संग
रास रचाए बांके बिहारी
तू है सांवला सलोना मतवाल, मोरे सांवरिया

तुझे कान्हा कहूं या लाल मोरे सांवरिया
गोपाला कहूं या बाल, मोरे सांवरिया

तू है पंच तत्व परमेश्वर
तू ही है करुणा का सागर
रक्षक ग्वाल बाल का बनकर
गोवर्धन पर्वत को उठाकर
तूने मिटाया इंद्र का अहंकार, मोरे सांवरिया

तुझे कान्हा कहूं या लाल, मोरे सांवरिया
गोपाला कहूं या बाल, मोरे सांवरिया

माखन मिश्री कौ भोग लगत है
पुष्प पान सुपारी चढ़त है
दूध की धार भी तोपे चढ़त है
मानसी गंगा भी तुझमें बसत है
तू करै जगत कल्याण, मोरे सांवरिया

तुझे कान्हा कहूं या लाल मोरे सांवरिया
गोपाला कहूं या बाल मोरे सांवरिया