कौन बतायेगा: हर्षिता दावर

कौन बतायेगा
क्या आप बता सकते हैं
बूंद से आंसू कितना भारी होता है
हर बूंद में शामिल एक अक्स है
जो लगता परिवर्तन सा सर्वस्व हैं
बूंद-बूंद पानी में मिलता जाता है
अपने रंग में ढल जाता वही अपना रंग है
बना लेता रंग अपना, समा जाता
या समा पाना ये वक्त में शामिल अपना हक़ है
ये आंसू का अपना अलग ढंग हैं
निकले तो ज़रा सीधी आहों में करहता
ये क्या अपने होने का नाम लिखवाता है
हर आंसू में घेरा हर एक का एहसास है
कैसी ये बूंद निकल जाती हैं
गम में ख़ुशी, खुशी में गम
आँखें हैं नम, फिर क्या है हम?
कितनी भारी संख्या में हमारी सिर्फ
हमारी वजह खत्म करता जाता हैं
कभी हम खाली होते फिर भर जाता है
आंसू अपना रंग बदलती दुनिया में कभी
बदलाव नहीं दिखाता है, वहीं नमी बनी है
नमकीन पानी में भिगो कर रखे फसादी कहलाता हैं
कहते हैं औरत का औजार होता है
किसी को बहकाता है?
किसी को बेचारा पान का खिताब दिखाता है
क्या मर्द अगर आंसू से भागता है
क्या उसमें एहसास की कमी का व्याख्यान होता है?
इंसान में उस खुदा की रहमत से ये न जाने
कितने ढेरों की तादाद में इन दो नैनों में छिपे हैं,
किसी को कमज़ोर किसी को मजबूत बना रहे हैं,
क्या जानते हैं आंसू की आदत नहीं एहसास दिखाने की
एहसास को इजाज़त है आंखों से छलक जाना है
कभी बिना पूछे टपक जाते हैं
बिना इजाज़त लिए किसी के सामने हम कमज़ोर पड़ जाते हैं
आंसू की हर बूंद बहुत भार उतार देती है
कभी किसी का मन हल्का, कभी भारी कर देती है
किसी का सहारा, किसी क्या इरादा बता देती है
किसी का दिल जीत लेती किसी का दिल हरा देती है
किसी को मध्यम आवाज़ में किसी की चीख निकाल देती है,
किसी से दूर किसी को पास बुला लेती है,
अपनेपन का एहसास दूर होने पर लाचार बता देती है,
सहानुभूति हर बार नहीं मजबूती भी दे देती है,
आंसू कितना भारी है
कौन बतायेगा ?
आंसू जिसके सुख जाते हैं?
उसने किसने बहाए होंगे?
किस कदर बढ़ गई हैरानी है?
वही विरानी हैं जब कोई नहीं समझता
जब हम समझते हैं, जब समझ कर नासमझ बनते हैं?
किसी का विश्वास वक्त के रगों में दौड़ कर खुद बदलते हैं
किसी के दिल का खेल तो कोई दिल की धड़कन तेज कर देते हैं,
कुछ माफ़ी कुछ काफ़ी बन जाते हैं,
फिर आंसू में आस लगाकर इज़्ज़त दांव पर लगाते हैं,
बारी-बारी कर हर एक की बारी आती है
निर्मोही नहीं बेकद्री के इल्जाम वाली बातें आती है
सूजी थकी आँखें अब दिल तक थक गई है
कोई समझेगा ये सवाल हज़ार बार आंखे नम कर पूछती है,
पर मिटा दिया है आंसू निकाल दिए रिश्तों के तराज़ू जिसमें
तुलती हर बार दिखावे के क्षण हर शब्द जो भूल कर भूले नहीं जाते हैं,
अब माफ़ी मांगनी है अपनी आंखों से बहुत आंसू बहाए है,
आंसू जिसके है वही जाने है,
तेरे मेरे किरदार के नहीं एहसास जज़्बात में निकलने वाले हैं
तू समझे तो पानी है, या एहसास के मोती है
आंसू भारी है कौन बतायेगा ?
तुम्हारे हमारे नहीं हर जो सास भरता है
जीवन जो जी रहे हैं जीवन सबका एहसास है
चाहे कोई जीव जंतु हो सबको एहसास होता हैं,
वक्त रहते कद्र करे, सब एक दिन खत्म हो जाएगा,
वो दो गज जमीन तक साथ चले जाते हैं
आंसू भारी है कौन बतायेगा

हर्षिता दावर