मैंने बनाया है अपना रास्ता: अंजना वर्मा

अंजना वर्मा
ई-102, रोहन इच्छा अपार्टमेंट,
भोगनहल्ली, बैंगलुरू-560103

बार-बार मरकर और जन्म लेकर
मैंने बनाया है अपना रास्ता
आँगन से लेकर चाँद तक
तुमने आग में जलाया
पर मैं चली नहीं
तुमने जहर दिया पर मैं मरी नहीं
अब चेहरे पर तुम्हारे द्वारा फेंके गए
तेज़ाब की जलन लेकर
समाज के खौफनाक जंगल से गुजरते हुए
जहाँ दिन में भी
अँधेरे का साया होता है
दरिंदों की गुर्राहट सुनने के बावजूद
मेरा सफर जारी है
हज़ारों वर्षों से सहती आ रही हूँ
तुम्हारे जुल्म
और हर बार बच जाती रही हूँ
मैं गेंद हूँ
जितना पटकोगे
उतना खिलूंगी आकाश में
अमरबेल हूँ
असंख्य टुकड़ों में काटोगे
हर टुकड़ा फैलेगा और लहराएगा
यह शायद इसीलिए कि
तुम्हें अभी जीवित रहना है
जरूरत है इस पृथ्वी को पानी की
इसीलिए नदी बनकर
मैं चल रही हूँ तुम्हारे साथ
मेरी धारा में फूल मालाएँ
कभी-ही-कभी चढ़ाता है कोई श्रद्धालु
और दीप भी कभी-ही-कभी
कोई जलाता है मेरे किनारों पर
लहरों पर
लेकिन रोज बहाए जाते हैं नाले
फेंके जाते हैं मनों कूड़े हर दिन
बार-बार मुझे
काटा और मोड़ा जाता है
मत करो मुझे तिरस्कृत इतना
मत काटो मेरा रास्ता बार-बार
कि मैं छोड़ दूँ तुम्हारे साथ चलना
जिस दिन छोड़ दूँगी तुम्हारा साथ
उस दिन तुम भी न जा सकोगे आगे