मंजिल उसे मिलती है जो: संजय अश्क

संजय अश्क
पुलपुट्टा बालाघाट
संपर्क- 9753633830

तुझसे भी होगा, तुझे खुद पर यकीन नहीं
मुश्किल हो सकता है पर नामुमकिन नहीं

संघर्ष ही एक दिन सफलता में बदलता है
मंजिल उसे मिलती है जो निरंतर चलता है
ऐसे ही नहीं देती कुदरत सुबह का आनंद
अंधेरों को मिटाने सूर्य भी रोज निकलता है
बिना खुद को तराशे जीवन होता हसीन नहीं

हर सपना हर किसी का कब पूरा होता है
जिंदगी बुरी नहीं होती, समय बुरा होता है
पत्थरों से टकराने से संगीत है जलधारा का
खराब हो जाता है जो पानी ठहरा होता है
समय बदलते रहता है एक से होते दिन नहीं

रोना, टूटना कई बार होना पड़ता है विफल
बिना कोशिशों के कब हुआ है कोई सफल
औरों के भरोसे पर दुनिया जीती नहीं जाती
खुद पर यकीं ही आदमी को बनाता है प्रबल
इरादे मजबूत हो तो क्या कुछ मुमकिन नहीं