मोहब्बत: दीपा सिंह

मोहब्बत भी क्या चीज है
जिससे हो जाती है
उसे कहने की हिम्मत नहीं कर पाते हम

पर क्या करें,
इसे रोक भी नहीं सकते
ये खुद ब खुद हो जाती है
ना ये किसी की जात देखती,
ना किसी का धर्म

सच्ची मोहब्बत रूह से होती है
ना कि जिस्म से
जो‌ लोग जिस्म देखते हैं,
वो कभी भी किसी से सच्ची
मोहब्बत नहीं कर सकते

राधा और कृष्ण को ही देख लो
मीरा और रुक्मिणी को ही देख लो
आजकल लोग तो मोहब्बत के
साथ खिलवाड़ करते हैं

वो क्या जाने
मोहब्बत होती क्या है
मोहब्बत तो वो है
जिसे देखकर हमारी
रातों की नींद उड़ जाती है
हमारा सुख चैन उड़ जाता है
मन उसे बार-बार देखने को करता है

उसकी हर कड़वी बात मीठी लगती है
उसका हँसना दिल को सूकून देता है
आजकल के लोगों ने इसका
मज़ाक बना कर रख दिया है

दो दिन का प्यार होता है
उसके बाद तकरार होता है
वो कसमें,
वो वादें सब भूल जाते हैं

दीपा सिंह